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निराकारी (गीता छंद ) ****************** पत्थर रहे हैं पूजते, मन में भरे हैं भाव। प्रभु तुम निराकारी भले, डूबे न अपनी नाव।। यह मन निराकारी हुआ, सपने लिए आकार। जब ठान ...